शब्द विमर्श कड़ी इकतालीसवीं :
दर्द
भक्तगण प्रसन्न रहें और सुविचारों से समृद्ध हों तथा धार्मिक दोहन से बचे रहें तथा विचारों के दोहन में जुटे रहें।
एक आवश्यक सूचना : अविनाश वाचस्पति ऊर्फ अन्नास्वामी का एक स्वतंत्र हिंदी चिट्ठा (ब्लॉग) ‘शब्द विमर्श’ के नाम से उपलब्ध है। यह आज की ताजा कड़ी है। वैसे इसमें फेसबुक की अब तक की सभी कडि़यों को भी प्रकाशित किया जाएगा। जिससे फेसबुक पर जिनका खाता नहीं है, वे भी और जिनका खाता है वे भी, मतलब सब वहां …और यहां पर आकर इन प्रवचनों/विमर्श का …………लाभ ले पाएंगे। विमर्श दोनों ही स्थलों पर जारी रहेगा। फेसबुक महात्मय पुस्तक का एक तिहाई अंश तैयार है। इसे भी संशोधित किया जाएगा फिर भी अगर आप जानना चाहते हैं कि उनमें किन साथियों की टिप्पणियों को शामिल किया गया है तो एक ई मेल भेजें।
अन्नास्वामी प्रवचन श्रंखला की इकतालीसवीं कड़ी : आज ‘शब्द विमर्श’ की यह कड़ी अपने इकतालीसवें पड़ाव पर पहुंच चकी है। यदि आप इस बारे में कुछ कहना चाह रहे हैं तो अवश्य कहें, मैं आपके विचारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं।
‘शब्द विमर्श’ कड़ी इकतालीसवीं :
दर्द